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यारी मे उधारी..

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भारत देश के सभी निवासी इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे है। और इसी वर्ष से भारत देश अमृत काल में प्रवेश कर चुका है. अमृत काल के प्रथम वर्ष के अवसर पर मैं एक बहुत की महत्वपूर्ण विषय पर हिंदी में ब्लॉग लिखने की चेष्टा करने का साहस कर रहा हूं । अगर कोई त्रुटी रह जाए तो क्षमा कर देना। दुकान के सामने लिखी हुई यह पट्टी UPI के जमाने में ज्यादा नजर नहीं आती। मगर दोस्ती यारी में उधारी लेना सदियों से चलता आ रहा है और शायद आगे भी चलता रहेगा। इसी प्रकार एक सज्जन की जरूरत को देखकर तीन साल पहले मैने यारी में केवल पांच हजार रुपए उधार स्वरूप दिए लेकिन ना उस सज्जन ने आज तक वो पैसे लौटाए ना ही कभी मेरा फोन उठाया। बल्कि एक मौके पर जब वो मेरे सामने से गुजरा तो पहचान दिखाने से भी परहेज की। दूसरे एक सज्जन ने इसी प्रकार 'आज देता हूं कल देता हूं' करके पूरे दो साल बाद मुझे मेरे बचे हुए कुछ पैसे लौटाए । लेकिन उधारी का ज्यादा तनाव लेनेवालों की बजाय देनेवालों को ही रहता है । क्योंकि उधार लेनेवाले को लगता है की देनेवाले के पास अतिरिक्त पैसा है इसीलिए उसने उधार दिया होगा। जबकि देनेवाला कभी तो दोस्ती ...